Author : Ashvendra Dada
Publisher : Uttkarsh Prakashan
Length : 120Page
Language : Bundeli And Hindi
List Price: Rs. 250
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सागर (म.प्र.) निवासी उर्जावान चर्चित बुन्देली कवि अशवेन्द्र दादा द्वारा रचित इस पुस्तक में उन्होंने अपनी सर्वश्रेष्ठ बुन्देली भाषा की रचनाओं को हिंदी अर्थ सहित समझाते हुए बहुत ही रोचक ढंग से प्रस्तुत किया है ताकि आज की पीढ़ी को भी बुन्देली भाषा का ज्ञान हो सके और वे भी आनंद ले सकें ....कवि की बुंदेली कविताएँ समाज की विद्रूपताओं पर प्रहार करती हैं साथ ही गरीबी, चिंता, संघर्ष, श्रम व रोजगार के पर्वतों को पार करते हुए हास्य की धवल सलिला में गोता लगाकर बुंदेली के उन्नयन का आह्वान करती है। कवि को चिंता है कि ‘चार आदमी का कै हैं?’ अर्थात ‘लोग क्या कहेंगे? अभी और अंत समय में’। कवि अभी के तात्पर्य में बुंदेली के उन्नयन के प्रति समर्पण को कारगर मानते हुए बुंदेली माटी के प्रति कृतज्ञता भाव से उसकी पीड़ा को गाने में सफल हुआ है। बुंदेली भाषा के उन्नयन के प्रति सहयोग की याचना करते हुए कवि गर्वोन्नत है यथा- ‘अपनी बुंदेली के लाने, ऊपर हौं हुमसाव। बड़े गरब सें बोलौ भैया बिल्कुल नै शरमाव।’ कवि की निष्ठा कर्मभूमि की कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए प्रशंसनीय है यथा- ‘लगै नगरिया नीकी बंडा लगै नगरिया नीकी’ तो अपने माता-पिता के प्रति समर्पण, गुरु के प्रति कृतज्ञता, बुंदेली महापुरुषों एवं वीरों के प्रति आदर भाव से भरे हुए कवि के शब्द मित्रों, भाईयों व अन्यों के प्रति भी आभार सरिता में सराबोर हैं। सोशल मीडिया पर कवि की अनेक कविताएँ जैसे ‘पंगत के मजा मौज’ (2.4 मिलियन), ‘ट्रेक्टर वालों का दर्द’ (2.1 मिलियन), ‘कजलियाँ’ (1.7 मिलियन), ‘बटवारा’ (1 मिलियन) लोगों ने देखी, सुनीं व सराहीं। प्रस्तुत काव्य संग्रह कवि की अस्सी रचनाओं से फलित है जिसमें दर्शन के साथ-साथ समर्पण का समावेश लिए यह बुंदेली आकाश गंगा शब्दों व प्रखर शैली के तारों, नक्षत्रों व उल्कापिण्डों से सजकर नव प्रकाश व नूतन ऊर्जा से भरी हुई है। कवि का हास्य बोध भी कोरा उत्साह न होकर प्रेरक एवं व्यावहारिक है, हास्य, सभी कविताओं से कहीं अधिक बुंदेली परम्पराओं की सुंदरता व कमियों पर प्रहार करने में सफल है। ऐतिहासिक तथ्यों, बुंदेली कहावतों, मुहावरों व प्रचलित अटका (पहेली) का प्रयोग करते हुए एकदम नई बात कहने में कवि सिद्धहस्त है। ....ईश्वर दयाल गोस्वामी (हिन्दी गीत/नवगीतकार व बुंदेली कवि/समीक्षक)
BOOK DETAILS
| Publisher | Uttkarsh Prakashan |
| ISBN-10 | 978-93-49808-30-0 |
| Number of Pages | 120 |
| Publication Year | 2025 |
| Language | Bundeli And Hindi |
| ISBN-13 | 978-93-49808-30-0 |
| Binding | paperback |
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